अनुभूति में
सीमा गुप्ता की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इतिहास
इस तकलुफ़ का
ख्वाब जैसे ख्याल
शायरी नहीं होती
है ये शोला
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शायरी नहीं होती
चोट दिल पर लगी
नहीं होती
हमसे फिर शायरी नहीं होती
तुमसे अगर दोस्ती नहीं होती
जिन्दगी जन्दगी नहीं होती
खुद पे इल्जाम मत समझ लेना
बिन तेरे मैयकशी नहीं होती
काम अच्छे किये चले जाओ
कोई नेकी बदी नहीं होती
तेरे दीपक ही बुझ गये शायद
वर्ना ये तिरंगी नहीं होती
गम मयस्सर तुम्हे नहीं आता
हमको हासिल ख़ुशी नहीं होती
९ मई २०११
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