अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में मदनमोहन उपेन्द्र की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
आप का कैसा मुकद्दर
गम को पीकर
जब से हमने
मौलवी पंडित परेशा

 

 

मौलवी पंडित परेशां

मौलवी पंडित परेशां आदमी हैवान है
मुल्‍क में चारों तरफ इंसानियत हैरान है

कागजों के देश का नक्‍़शा बदलता जा रहा
किस कदर टुकड़ों में बिखरा अपना हिन्‍दुस्‍तान है

फासला बढ़ता नज़र आने लगा है किस तरह
फिर नयी इक जंग की खातिर सजा मैदान है

दब रहे आतंक में सब लोग इस्‍पंजी बने
कैसे कह दें रहनुमा हालात से अनजान है

सरफरोशी की जिन्‍होंने उनकी यादें रह गयीं
आसनों पर वे हैं जिनकी कुर्सियाँ ईमान हैं

कांपती दीवार उड़ते कलेण्‍डर बतला रहे
साथियों! इस ओर कोई आ रहा तूफान है

११ जुलाई २०११

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter