पंडित बृज नरायण चकबस्त
पंडित जी का जन्म 19 जनवरी, 1882 को फ़ैज़ाबाद
(उत्तर प्रदेश) में हुआ। आपके पिता जी, पंडित उदित नरायन चकबस्त भी शायर थे जो
''यक़ीन'' उपानम से लिखा करते थे। पिता जी के गुज़र जाने के बाद 1887 में परिवार
लखनऊ के काश्मीरी मोहल्ले में आ बसा।
1907 में कैनिग कालिज लखनऊ से एल-एल.बी. की डिग्री हासिल करने के बाद वक़ालत शुरू
की। आप एक कामयाब वकील थे। 1926 में एक मुक़दमे के सिलसिले में राय बरेली गए थे।
रेलवे स्टेशन पर लकवे का दौरा पड़ा और कुछ ही घंटों बाद 44 बरस की अल्प आयु में 12
फ़रवरी 1926 को उनका देहांत हो गया।
ग़ालिब, अनीस और जिगर मुरादाबादी पंडित जी के
आदर्श थे। आपने कुछ ही ग़जलें लिखी जो अपने में अनूठी हैं। आपका ज़्यादातर कलाम
नज़्म की विधा में है। ''रामायन का एक सीन'' एक लंबी नज़्म है जिसमें बनबास जाने से
पहले राम जी अपनी माँ से मिलने जाते हैं। पंडित जी गर ज़्यादा दिन जीते तो शायद
उर्दू में पूरी रामायन लिख गए होते। आपकी लिखी ग़ज़लें और नज़्में ''सुबह-ए-वतन'', ख़ाक़े-हिंद'', ''रामायन का एक सीन'' और ''गुलज़ारे-नसीम'' में पढ़ी जा सकती हैं।
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