अनुभूति में
अभिषेक कुमार अंबर की
रचनाएँ- अंजुमन में-
आज रौशन
दीप को आफताब
राह भटका हुआ
संकलन में-
नया साल-
इस नये साल में
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दीप को आफताब
दीप को आफ़ताब कर डाला
आपने क्या जनाब कर डाला।
अपने लब से गिलास छूकर के
तूने पानी शराब कर डाला।
करके रोशन जहाँ को सूरज ने
आसमां बेनक़ाब कर डाला।
दर्द जब उसने जानना चाहा
मैंने चेहरा किताब कर डाला।
बन के बाँदी तुम्हारे चरणों की
मैंने तुमको नवाब कर डाला।
मैंने उस बेवफ़ा के चक्कर में
ज़िन्दगी को ख़राब कर डाला
१ फरवरी २०१७ |