पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. १२. २०२३  

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलन अभिव्यक्ति
कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

जाते हो बाजार पिया

 

 

जाते हो बाजार पिया तो दलिया ले आना
आलू, प्याज, टमाटर थोड़ी
धनिया ले आना

आग लगी है सब्जी में फिर भी किसान भूखा
बेच दलालों को सब खुद खाता रूखा-सूखा
यों तो नहीं ज़रूरत हमको लेकिन फिर भी तुम 
बेच रही हो बथुआ कोई बुढ़िया 
ले आना

जैसे-जैसे जीवन कठिन हुआ मजलूमों का
वैसे-वैसे जन्नत का सपना भी खूब बिका 
मन का दर्द न मिट पायेगा पर तन की ख़ातिर
थोड़ा हरा पुदीना थोड़ी
अँबिया ले आना

धर्म जीतता रहा सदा से फिर से जीत गया
हारा है इंसान हमेशा फिर से हार गया
दफ़्तर से थककर आते हो छोड़ो यह सब तुम
याद रहे तो इक साबुन की
टिकिया ले आना
1
- धर्मेन्द्र कुमार सिंह

इस माह

गीतों में-

bullet

धर्मेन्द्र कुमार सिंह सज्जन

अंजुमन में-

bullet

उत्कर्ष अग्निहोत्री

छंदमुक्त में-

bullet

वंदना मिश्रा

दिशांतर में-

bullet

यूके से मोहन राणा

छोटे छंद में-

bullet

अनिल कुमार वर्मा की घनाक्षरी

पुनर्पाठ में-

bullet

देवेन्द्र सफल

 

.
विगत माह
नवंबर के दीपावली विशेषांक में

गीत, गजल, छंदमुक्त, दोहे
और मुक्तक विधाओं में
अनुभूति के
विशिष्ट रचनाकारों द्वारा रचित
दीपावली की ज्योति से जगमग
ढेर-सी रचनाएँ

1

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलन हाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
Google
प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन / गजल संपादक- भूपेन्द्र सिंह
     

F26D7D