पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. १२. २०१७

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रामभजन

 

 

रामभजन परदेस कमाने फिर से
चला गया

बच्चों की मोटर लाया था
पीतल के जेवर लाया था
भाई भौजी के कपड़े थे
अम्मा का स्वेटर लाया था
बापू की पूजा की खातिर
कई नर्मदेश्वर लाया था
छोटा भाई माँग रहा है
आई-फोन नया

बच्चों के अरमान चले हैं
पत्नी के भगवान चले हैं
भौजी के हाथों की मठरी
अम्मा के पकवान चले हैं
चले भेजने बूढ़े बापू
मीलों बिना थकान चले हैं
हाथ दबाकर उसे थमाया रुपया
दो रुपया

तिनका तिनका जोड़ रहा है
कहीं न कुछ भी छोड़ रहा है
हाथों की छेनी से निर्धनता
के पत्थर तोड़ रहा है
सुख की परछाईं के पीछे
आँखें मीचे दौड़ रहा है
खर पतवार चोंच में दाबे उड़ता
रहा बया

- ज्ञानप्रकाश आकुल

इस माह

गीतों में-

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ज्ञानप्रकाश आकुल

अंजुमन में-

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जगदीश पंकज

छंदमुक्त में-

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सतपाल ख्याल

दोहों में-

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मधु प्रधान

लंबी कविता में-

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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की लंबी कविता कुआनो नदी

पिछले माह
१ नवंबर २०१७ को प्रकाशित अंक में

गीतों में-

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शुभम श्रीवास्तव ओम

अंजुमन में-

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सुरेश कुमार उत्साही

छंदमुक्त में-

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सुशील कुमार

दोहों में-

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त्रिलोचना कौर

लंबी कविता में-

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मुक्तिबोध की अँधेरे में

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संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

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