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२८. ६. २०१०

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नदी नाव संजोग
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  नदी नाव
संजोग भेंटना
तुम से आज हुआ।

पान-फूल
अँजुरि में लेकर मन में वृंदावन,
आँख जुड़ाये गैल तकें गलियारे
घर आँगन,
बाट पाहुने की जोहे ज्‍यों
गंगाराम सुआ।

अक्‍सर लगते
सूनसान चौखट-देहरी तुम बिन,
गहरे सन्‍नाटे में डूबे थे मेरे
पल-छिन,
तुम आये जैसे अम्‍बर से
झर-झर झरी दुआ।

पोर-पोर
फगुनाई महकी रस-कचनार खिले,
महुआ-सी गमकी पुरवाई तुम जो
आज मिले,
दर्पण ने दर्पण को जैसे
सहसा आज छुआ।

-- दिवाकर वर्मा
इस सप्ताह

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पिछले सप्ताह
२१ जून २०१० के कमल विशेषांक में

रावेंद्रकुमार रवि, कुँवर बेचैन, गीता पंडित, धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’, ललित अहलूवालिया 'आतिश'  सुभाष राय के गीत
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इंदिरा मिश्रा, कमला निखुर्पा, धीरेन्द्र सिंह, प्रिया सैनी, मनीषा शुक्ला, राजेंद्र उपाध्याय, रामेश्वर कांबोज हिमांशु, सुभाषिनी खेतरपाल, सुरेश यादव, संस्कृता मिश्रा और भवानी प्रसाद मिश्र, की छंदमुक्त रचनाएँ।
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नीलेश माथुर व संस्कृता मिश्रा की क्षणिकाएँ, हरिकृष्ण सचदेव के मुक्तक, भावना कुंअर व अरविंद चौहान के हाइकु तथा संतोष कुमार सिंह और अमित कुलश्रेष्ठ की रचनाएँ।

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
   
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