जग में जो बदनाम बहुत है
यारों उसका नाम बहुत हैछोड़ दिया है साथ सभी
ने
लेकिन अब आराम बहुत है
दिल की प्यास बुझानी हो तो
आँखों का इक जाम बहुत है
लिखने को इक गीत नया-सा
इक प्यारी सी शाम बहुत है
दिल की दुनिया महकाने को
एक तुम्हारा नाम बहुत है
सोच समझ कर सौदा करना
मेरे दिल का दाम बहुत है
तुमसे बिछड़कर हमने जाना
गम का भी ईनाम बहुत है
इश्क में मरना अच्छा तो है
पर ये किस्सा आम बहुत है
-- देवमणि पांडेय |