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         सावन की रिमझिम बौछार

 
 
सावन की रिमझिम बौछार
भीग रहा मन भाव पसार
टप-टप बूँदों सी थिरकूँ मैं
गाऊँ पी संग
राग मल्हार

नाचे मोर पपीहा बोले
फुदक-फुदक मेंढक दिल खोले
कोयल कुहुक कुहुकती डोले
चहक रहा आँगन
घर द्वार

फूल खिले हैं उपवन-उपवन
बौराया भँवरों का तन मन
ताक रही पगडंडी बिरहन
याद करे प्रियतम
का प्यार

घिर-घिर आए घटा घनेरी
बिजली चमक-चमक ले फेरी
बन बरखा की साथी संगी
ठंडी-ठंडी
चली बयार

- विनीता तिवारी
१ अगस्त २०२५

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