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         मेघा आए हैं

 
 
तेरी खुशबू, तेरी चाहत, भर-भर लाए हैं
आज गाँव में मेरे घिर-घिर मेघा आए हैं

हार-थके थे नयन बावरे, बेसुध बंजारे
पाहुन बनकर लौट गए
खुशियों के हरकारे
नयनों में घिर स्वर्णिम स्वप्न सुहाने आए हैं
आज गाँव में मेरे घिर-घिर मेघा आए हैं

रह-रह कर पुरवैया छेड़े, आँचल सरकाए
सरस-परस पावस का
तन-मन में सिहरन लाए
साँसों की सरगम ने खुश हो मंगल गाए हैं
आज गाँव में मेरे घिर-घिर मेघा आए हैं

कोई क्या जाने तेरे बिन, दिन कैसे बीते
घर-अँगने सूने-सूने,
पल-छिन रीते-रीते
स्मृतियों ने राम कसम कितना झुलसाए हैं
आज गाँव में मेरे घिर-घिर मेघा आए हैं

- डा रामेश्वर प्रसाद सारस्वत
१ अगस्त २०२५

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