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         बादल बहुत देर तक बरसे

 
 
इधर-उधर से यहाँ वहाँ से
बादल आए कहाँ-कहाँ से
बरस रहे हैं झूम झूम कर
बाहर निकलें कैसे घर से
बादल बहुत देर तक बरसे

बड़े बड़े गड्ढों की खाला
सड़कें आफत की परकाला
इन गड्ढों से टाँग न टूटे
बिनती हम करते रघुवर से
बादल बहुत देर तक बरसे

बिना बात हैं ऐंठे बादल
डेरा डाले बैठे बादल
जोर जोर से गरज रहे हैं
बिजली गिरा रहे अम्बर से
बादल बहुत देर तक बरसे

चिन्ता में हैं बूढ़ी काकी
भीग रही है खटिया चाकी
कोने में दुबकी बैठी हैं
पानी टपक रहा छप्पर से
बादल बहुत देर तक बरसे

- राम अवध विश्वकर्मा
१ अगस्त २०२५

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