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         गाना बरखा राग चाहिए

 
 
कट जंगल मैदान हो गया
ठूँठ खड़े, शमशान हो गया
माचिस की तीली में लिपटा
तनिक मसाला, आग चाहिए
गाना बरखा राग चाहिए

झूला गिरा कटी डाली जब
मुनिया नन्नू तर-ऊपर
घनी शाख़ में छुपे नीड़ से
गिरे चिरौटे झर-झर-झर
नर पिशाच औ चिड़ा चिरंगुल
सबको देना दाग चाहिए
गाना बरखा राग चाहिए

आँगन लेटी दादी दीखें
इंद्रदेव को आँखें भींच
बाल गोपाल करें तैयारी
कल खेतों को लेंगे सींच
नागिन जैसी नचे बदरिया
बीन बजाता नाग चाहिए
गाना बरखा राग चाहिए

नयी नवेली पुरवा आई
एयर प्युरीफ़ायर में भर
पछुआ गईं जलन के मारे
बैठीं जाके एसी कूलर
नयी सभ्यता के स्वागत में
जग को जाना जाग चाहिए
गाना बरखा राग चाहिए

- जिज्ञासा सिंह
१ अगस्त २०२५

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