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         एक वर्षा गीत

 
 
धरती बुनती
बूँद बूँद बरसात
मेघ का आँजे काजल

पसर गया पुल
नदिया ऊपर
ताल तलैया
परती ऊसर
बदल गये हालात
टूटकर बरसे बादल

मन किशना का
भरे कुलाँचें
राधा तन मन
चिठिया बाँचें
द्वार खड़ी सौगात
भीगते चूनर आँचल

मेड़ सो रही
खेत बिछाये
कीचड़ मल मल
बीज नहाये
अँकुराए जजबात
हुई है माटी संदल

- जयप्रकाश श्रीवास्तव
१ अगस्त २०२५

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