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         बरसात का मौसम

 
 
उमस हद से बढ़ी है आ गया बरसात का मौसम
जली धरती पे चंदन लेप-सा बरसात का मौसम

कहीं 'उम्मीद से हैं' खेत, तो छप्पर कहीं सहमा
दर-ओ-दीवार पर दिखता लिखा बरसात का मौसम

नमी बूँदों की पाकर फूल-पत्ते खिलखिला उट्ठे
चढ़ा झूलों पे कजरी गा रहा बरसात का मौसम

हरा हो जाता है यादों का जंगल ख़ुद-ब-ख़ुद दिल में
उतर आता है आँखों में मुआ बरसात का मौसम

किसी को तो डुबोए जा रहा और कोई सूखा 'रीत'
तुम्हारे जैसा ही नादां हुआ बरसात का मौसम

- परमजीत कौर 'रीत'
१ अगस्त २०२५

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