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         आ गई बारिश

 
 
आँखों से जब भी आ गई बारिश
दर्द दिल का धुला गई बारिश।

प्यासे होठों को चूम धरती के
जामे उल्फ़त पिला गई बारिश।

कच्ची माटी का जिस्म है महका
कैसी ख़ुशबू उड़ा गई बारिश।

लग रहा आँखों को धुला मंज़र
ग़र्द सारी हटा गई बारिश।

एक छाते में हमसफ़र थे दो
याद वो दिन दिला गई बारिश।

एक अंजान राहे उल्फ़त में
दो दिलों को मिला गई बारिश।

अब्र टूटा जो मंजु यादों पे
कह्र इस दिल पे ढा गई बारिश।

- मंजू सक्सेना
१ अगस्त २०२५

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