अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

तुम्हें नमन
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को समर्पित कविताओं का संकलन

 

युग पुरुष गांधी से

तुम भारत के शिखर पुरुष
थे जग के तुम शांतिदूत
जहाँ कहीं था अंधकार
जल उठे अनेकों विश्वपूत

पूर्णिमा रात की शीत लहर
तब लाखों भक्त नहाते हैं
माथे-तिलक लगा भक्तगण-
भजन शांति के गाते हैं

कोई तलवार उठाए तो
वहाँ मौन रहा न जाता है
बापू आतंकी दुश्मन का
यहाँ जुर्म सहा न जाता है

तुम भी सदा कहा करते
अन्याय कभी न सहना तुम
मर-मर कर क्या जीना है
सम्मान मनुज का आभूषण

वे हाहाकार मचाते हैं
अब आतंकी कहर ढाते हैं
बेमतलब रोज़ धरा पर फिर
वे मानव रक्त बहाते हैं

जिस कश्मीर की घाटी में
दानव छिप-छिप आते हैं
पूजा-अजान कर रहे मनु
को ज़िंदा यहाँ जलाते हैं

यह कैसा है धर्म धरा पर
दानवता आज सिखाता है
दूजे धर्मों के लोगों से
घृणा-दुश्मनी निभाता है

अब रहा नहीं जाता बापू
हम भी अब अस्त्र उठाएँगे
आतंकवाद को दुनिया से
हम जड़ से सदा मिटाएँगे

गुरु गोविंद, रानी, राणा
का जोश पुराना लाएँगे
सोने की चिड़िया भारत को
फिर से स्वर्ग बनाएँगे।

सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter