अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

तुम्हें नमन
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को समर्पित कविताओं का संकलन

 

लाल गुलाब सरीखे बापू

एक फूल से खिल जाते थे
हमजोली वे बन जाते थे
बच्चों के रंग रंग जाते थे
लाल गुलाब सरीखे बापू।

बच्चे उनके राज दुलारे
बच्चे उनके चाँद-सितारे
बच्चों के संग मन मुसकाते
मन के बच्चे सच्चे बापू।

बच्चों से थे हिल-मिल जाते
खिलखिल हँसते और हँसाते
बच्चों में बच्चे बन जाते
बच्चों के संग बच्चे बापू।

जब भी बच्चे कहते बापू
बापू हो जाते बेकाबू
बच्चों के संग घुलमिल जाते
मधु-से मीठे अच्छे बापू।

-गोपीचंद श्रीनागर

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter