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शुभ दीपावली

अनुभूति पर दीपावली कविताओं की तीसरा संग्रह
पहला संग्रह
ज्योति पर्व
दूसरा संग्रह दिए जलाओ

वहीं पे दीप जलेगा

जहाँ अँधेरा मिलेगा यकीन है मुझको
वही पे दीप जलेगा यकीन है मुझको

गम़ों के दौर में गम़ को बता दिया मैंने
सुकूने दिल भी मिलेगा यकीन है मुझको

अमन के बाग में कांटे बिछा रहा कोई
उन्हीं में फूल खिलेगा यकीन है मुझको

उदास रात को दीपक जला के रखता हूँ
जो खो गया है मिलेगा यकीन है मुझको

दीया जलाने की बारी अभी जो आई है
गली-गली में जलेगा यकीन है मुझको

वफ़ा की राह पे 'घायल' कोई चले ना चले
वफ़ा का फूल खिलेगा यकीन है मुझको

-राजेंद्र पासवान 'घायल'
16 अक्तूबर 2006

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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