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शुभ दीपावली

अनुभूति पर दीपावली कविताओं की तीसरा संग्रह
पहला संग्रह
ज्योति पर्व
दूसरा संग्रह दिए जलाओ

जन जन के मन में हो प्रकाश

दीप पर्व के अवसर पर
हम ब जश्न मनाते हैं
दीप जलाकर घर-घर में
लक्ष्मी पूजन करवाते हैं।

प्रज्वलित दीप दीवाली का
पौराणिक रंग दिखाता है
राम के हाथों रावण वध
की गाथा याद दिलाता है।

मैदाने जंग बनी लंका
आ, कालदेव ने वास किया
रावण का वध कर रामचंद्र ने
निश्चर दल का नाश किया।

कहता है राधेश्याम सदा
रावण है नाम बुराई का
राम बने प्रतिबिंब यहाँ
सद्गुणों और अच्छाई का।

जन जन के मन में हो प्रकाश
कुटियों में किरणें फूट पड़ें
अज्ञान तिमिर की राहों पर
दीपों की टोली निकल पड़ें।

ऐसा जिस दिन हो जाएगा
यह जग जगमग हो जाएगा
है कठिन, मगर होगा ज़रूर
वह दिन निश्चय ही आएगा।

-राधेश्याम
1 नवंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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