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शुभ दीपावली

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उजाले

उम्र भर रहते नहीं हैं
संग में सबके उजाले।
हैसियत पहचानते हैं
ज़िन्दगी के दौर काले।

तुम थके हो मान लेते-
हैं सफ़र यह ज़िन्दगी का।
रोकता रस्ता न कोई
प्यार का या बन्दगी का।
हैं यहीं मुस्कान मन की
हैं यहीं पर दर्द-छाले।

तुम हँसोगे ये अँधेरा,
दूर होता जाएगा।
तुम हँसोगे रास्ता भी
गाएगा मुस्कराएगा।
बैठना मत मोड़ पर तू
दीप देहरी पर जलाले।

रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु
२७ अक्तूबर २००८

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