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शुभ दीपावली

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दीपावली हाइकु

तम मिटाए
जगमग दीपक
खुशियाँ छाई।

राम सिया जी
जब घर को लौटे
हुई दिवाली।

खील बताशे
खिल खिल बिखरें
आई दिवाली।

लक्ष्मी गणेश
करें आरती सब
लें आशीर्वाद।

फूल चाँदी से
बिखराती हँसती
फुलझड़ियाँ।

पंक्ति दीपों की
चीरे अंधियारे को
वाह दिवाली।

लौ दीपक की
हमें पढ़ाए पाठ
बनो हिम्मती।

सौहार्द प्रेम
फैले सब में जब
तभी दिवाली।

थाल सजा है
तारों की दरकार
नहीं है आज।

तारे उतरे
धरती पर आज
दृश्य अनोखा।

बम पटाके
धम धम गूँजते
छटा निराली।

अरविंद चौहान
२० अक्तूबर २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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