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                                 इस 
								दीवाली दीप माल में  
								प्रेम का दीप जलाना मीता  
								हर घर में उजियारा छाए  
								ऐसी लौ जलाना मीता  
								 
								दीपों की लड़ियों में हम तुम  
								धूप किरन को गूँथेंगे 
								झिलमिल तारों की लड़ियों को  
								कंदीलों में बुन लेंगे 
								 
								परहित जलती सूरज ज्योति  
								धरती पर ले आना मीता  
								दीप वही जलाना मीता  
								 
								वैर- द्वेष की लाँघ दीवारें  
								मिलजुल पर्व मनायेंगे 
								हर देहरी रंगोली होगी  
								मंगल कलश सजायेंगे  
								 
								नीले अम्बर की बदली से  
								नेह गगरी भर लाना मीता  
								अँगना में बरसाना मीता  
								 
								चलो कहीं विश्वास जगा कर  
								अधरों पे मुस्कान धरें  
								चलो कहीं बाँटें फुलझड़ियाँ  
								मिश्री मेवे थाल भरें  
								 
								आज किसी खाली झोली को  
								खुशियों से भर जाना मीता  
								ऐसा पर्व मनाना मीता  
								 
								- शशि पाधा 
								१ नवंबर २०१५  |