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								चिर प्रतीक्षा के बाद  
								मिली ख़ुशी  
								दे जाती है अपार सुख  
								और मन जाता है त्योहार! 
								एक अरसे बाद... 
								आज उसने भी  
								त्योहार मनाया 
								हफ़्तों से बेसुध पड़े शिशु ने  
								जब आँखें खोल पानी माँगा  
								उम्मीदें प्रज्वलित हो उठीं  
								आँसुओं की झालरें बंदनवार सी  
								टँग गयीं  
								दीपमालाएँ झिलमिलाईं 
								कुटिया रौशनी से खूब नहाई 
								दुनिया की सारी दौलत उसके  
								आँचल में समाई  
								बरसों बाद... 
								आज उसने भी दीपावली मनाई 
								 
								- सरस दरबारी  
								१ नवंबर २०१५  |