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                                 आया 
								है लेकर खुशी, पावन यह त्यौहार  
								दीप जलाये प्यार के, हर घर आँगन द्वार  
								 
								नन्ही बाती यों जली, मन में भर विश्वास  
								घोर तिमिर का हो गया, पल भर में ही नाश  
								 
								दीपों से आँगन सजे, खिल खिल गये अनार  
								आज गगन तक छा गया, रंग भरा उजियार 
								 
								द्वार द्वार रंगोंलियाँ, घर-घर बंदनवार  
								करने को आतुर सभी, लक्ष्मी का सत्कार  
								 
								महलों में ही कैद है, जग-भर का उल्लास  
								झोपड़ियों को आज भी, दो रोटी की आस  
								 
								घोर तिमिर में यों लगे, झिलमिल दीप-कतार  
								चूनर काली ओढ़ ज्यों, आये सुभगा नार  
								 
								पूजन की थाली सजा, कर षोडश शृंगार  
								गोरी निरखे द्वार को, आयेंगे भरतार  
								 
								स्वच्छ रखें पर्यावरण, स्वच्छ रखें घर द्वार  
								देता है संदेश यह, दीपों का त्यौहार  
								 
								- टीकमचन्द ढोडरिया  
								१ नवंबर २०१५  |