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                                 दीप 
								खुशियों के जलते रहेंगे  
								हम दिवाली में खिलते रहेंगे 
								 
								हम मिलें साथ मिलकर चलें यों 
								स्नेह आपस में घुलते रहेंगे 
								 
								सारे शिकवे भुलाकर तो देखो 
								द्वेष मन के भी धुल के रहेंगे 
								 
								प्यार आशीष सबको मिलेगा 
								वर्ष भर यों ही मिलते रहेंगे 
								 
								अब उजालों की रातें ही होंगी  
								औ अंधेरे तो छिपते रहेंगे 
								 
								खूब खुशियाँ मिलेंगी सभी को 
								और उपहार मिलते रहेंगे 
								 
								- अमित वागर्थ  
								१ नवंबर २०१५  |