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								प्यार के फूल दिल में खिलाओ सभी  
								रौशनी नेह की है नहाओ सभी  
								 
								अब दिवाली सखी आ गयी झूम कर  
								धुन सजावट की फिर गुनगुनाओ सभी 
								 
								कुम्भकारों को भी उनकी मेहनत मिले  
								दीप मिटटी के घर में जलाओ सभी  
								 
								हो जो लक्ष्मी कृपा, खुश हरिक जन रहे 
								आरती करके माँ को मनाओ सभी  
								 
								नफ़रतों के दिए जल रहे हैं यहाँ  
								आओ मिलकर इन्हें अब बुझाओ सभी  
								 
								झालरें घर के ऊपर ठुमकती फिरें  
								बाँध लड़ियों में इनको सजाओ सभी  
								 
								सज गयीं सब दुकानें मिठाई बनी  
								तुम खरीदो इन्हें लेके जाओ सभी  
								 
								आज ‘आभा’ नमन कर रही, लक्ष्मी माँ! 
								धन की वर्षा करो, सुख लुटाओ सभी  
								 
								- आभा सक्सेना  
								१ नवंबर २०१५  |