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नेह भरा उपहार

 

रेशम की डोरी नहीं, है बहना का प्यार
बाँध कलाई में दिया, नेह भरा उपहार

मेरी बहना ने कहा, सुन लो भाई आज
नहीं चाहिए और कुछ, रखना मेरी लाज

मेरी बहना ने दिया, कोमल मृदु उपहार
भाई भी औ पुत्र भी, कितना अनुपम प्यार

जीवन में होना सफल, करना कुछ श्रीमान
माता बहना रूप को, करिये सदा प्रणाम

कष्ट दर्द या साथ में, समय रहे विपरीत
अडिग रही पथ पे सदा, नहीं हुई भयभीत

गर्मी में ठंडक लिए, सर्दी में प्रिय धुप
मेरी बहना ने लिये, कितने रूप अनूप

सच्चाई हर बात में, काम सदा है श्रेष्ठ
बड़ी बहन या फिर कहूँ, मेरे प्यारे ज्येष्ठ

- राम शिरोमणि पाठक
१५ अगस्त २०१६

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