राम सभी के

 
  राम हमारे, राम तुम्हारे
राम सभी के हैं

दिनचर्या में, संस्कार-
शुभ अभिवादन में हैं
मंगल आशय, सद्विचार में
शुचि चिन्तन में हैं
साथ हमेशा हैं नेकी के
नहीं बदी के हैं

भक्ति, प्रेम, पुरूषार्थ-
त्याग में, क्षमाभाव में हैं
जनहितकारी, न्याय, नीति
निश्छल स्वभाव में हैं
राम अहिल्या के, केवट के
माँ शबरी के हैं

राम धर्म हैं, मर्यादा-
सत्पंथ सनातन हैं
राम सत्य-संकल्प
नित्यप्रति नव, अधुनातन हैं
ऐसा लगता राम हमारी
इसी सदी के हैं

तम, संशय, भय, भ्रान्ति,
ताप, सन्देह विलोप रहे
छोटे-छोटे कई अवधपुर
सबमें रोप रहे
राम हमारे मन में जलते
दीपक घी के हैं

- शुभम श्रीवास्तव ओम
१ अप्रैल २०२४

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