धरा हो धन्य अयोध्या की

 
  हजारों प्यासी आँखों को कोई सपना सजाने दो
धरा हो धन्य अयोध्या की
हृदय में राम आने दो

चरण जब राम के आयें सजल भीगे नयन होंगें
प्रफुल्लित धार सरयू की मगन धरती गगन होंगे
बहेगी स्नेह की धारा चरण रज राम की होगी
कटे वनवास के बंधन विजय श्रीराम की होगी

हमारे राम जग में श्रेष्ठ रहे मर्यादा पुरुषोत्तम
हँसे फिर जग में मानवता
सहज करुणा समाने दो

मनी खुशियाँ अयोध्या में भक्ति के फूल खिलते हैं
हजारों दीप जलते हैं चरण जब राम धरते हैं
पधारो आज हे रघुवर हमारे हृदय आँगन में
अवध की भूमि हो पूजित उसे पावन सृजन दे दो

हजारों प्यासी आँखों को कोई सपना सजाने दो
धरा हो धन्य अयोध्या की
हृदय में राम आने दो

- पद्मा मिश्रा
१ अप्रैल २०२४

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