जिस पथ पर श्रीराम चले

 
  धर दिव्य-देह मानव का पुरूषोत्तम बनना होगा
जिस पथ पर श्रीराम चले
उस पथ पर चलना होगा

मायावी इस दुनिया में, छल-प्रपंच और कपट भरे
जनता शोषित पीड़ित है, बाधा इनकी कौन हरे
भेदभाव की खाई भरकर ही आगे बढ़ना होगा
जिस पथ पर श्रीराम चले
उस पथ पर चलना होगा

परिवर्तन की हवा बह रही धुरी चक्र भी बदल रहा
उथल पुथल है मची हुई ऋतु-चक्र भी बदल रहा
राष्ट्रधर्म ही एक धर्म हो भाव यही रखना होगा
जिस पथ पर श्रीराम चले
उस पथ पर चलना होगा

अन्तस की सारी कटुता भूल जो आगे आयेंगे
सच्चे भारतवासी होने का हम भी गौरव पायेंगे
हमें राम बनकर दुष्टों का मूल दमन करना होगा
जिस पथ पर श्रीराम चले
उस पथ पर चलना होगा

- श्रीधर आचार्य शील
१ अप्रैल २०२४

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