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लगता है वसंत आया है

 

  टेसू की
डालियाँ फूलतीं,
खेतों में
बालियाँ झूलतीं,
लगता है बसन्त आया है!

केसर की
क्यारियाँ महकतीं,
बेरों की
झाड़ियाँ चहकती,
लगता है बसन्त आया है!

आम-नीम
पर बौर छा रहा,
प्रीत-रीत
का दौर आ रहा,
लगता है बसन्त आया है!

सूरज है
फिर से मुस्काया,
कोयलिया
ने गान सुनाया,
लगता है बसन्त आया है!

शिव का
होता घर-घर वन्दन,
उपवन में
छाया स्पन्दन,
लगता है बसन्त आया है!

--डॉ रुपचंद्र शास्त्री मयंक

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