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                                   सीख रहे हैं

 

सीख रहे हैं,सीख रहे हैं
हम तो अब भी सीख रहे हैं!

पहले से अन्तिम अक्षर तक
जीवन के,
बस,
दाह दे रहे
रेशा-रेशा चुन-चुन कर वे
मधु गीतों के,
राग ले रहे

फिर भी ख़ुश से दीख रहे हैं!
हम तो अब भी सीख रहे हैं !!

शाला हैं
विद्या की दुनिया,
क्रमश: स्तर को
ऊपर करतीं,
ज्ञान-पत्तियाँ टिक पाती हैं
शाख पेड़ पर,
पीली झरतीं

पंथ पुराने
लीक रहे हैं
हम तो अब भी सीख रहे हैं!

- सुभाष वसिष्ठ
१ सितंबर २०२४

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