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         हम भी जाते थे स्कूल

 

सुबह एक-दो रोटी खाकर
कंधे से झोला लटकाकर
खड़िया-कालिख़ बुदके में भर,
नंगेपाँव उड़ाते धूल
हम भी जाते थे स्कूल

कभी भागते, चलते, रुकते
मिलते पेड़ राह में लुढ़के
चढ़ते, उतर-उतरकर चढ़ते,
उखड़ गईं थीं जिनकी मूल
हम भी जाते थे स्कूल

दौड़ आम के नीचे जाते
इमली, उसकी कोंपल खाते
बेरी से कुछ बेर गिराते,
चुन लेते महुए के फूल
हम भी जाते थे स्कूल

गुरुजी ने तो देरी कर दी
हमने खेली पहुँच कबड्डी
गुरुजी जब आए, तब देखे
टूटे दाँत निकाली रूल
हम भी जाते थे स्कूल

घोट-घाट पट्टी चमकाते
मुंशीजी इमला लिखवाते
उससे पहले हम सब बच्चे,
लिखते 'राम', न करते भूल
हम भी जाते थे स्कूल

- राममूर्ति सिंह 'अधीर'
१ सितंबर २०२४

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