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         प्रकृति पाठशाला है

 

जीवन का हर पाठ पढ़ाती
प्रकृति पाठशाला है

हँसना रोना धूम मचाना
इसने हमें सिखाया
हर मौसम को सीख निराला
लोकगीत में गाया
ऋतुओं के मनके समेटकर
बना रही माला है

पतझड़ देता अगर उदासी
तो वसंत मधुमासी
तपा जेठ संघर्ष सिखाता
सावन धरा न प्यासी
परिवर्तन का चक्र घुमाकर ही
ब्रह्मांड संभाला है

प्रकृति बताती समय-समय पर
अनुशासन में जीना
अगर सीख न माने इसकी
मृत्यु ने जीवन छीना
ये किताब संयम की वरना
जग तो मधुशाला है

- डॉ मंजु लता श्रीवास्तव
१ सितंबर २०२४

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