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             बस्ता

 

यह कैसी लाचारी है
बस्ता मुझसे भारी है

कंधा रोज भड़कता है
जाने क्या क्या बकता है
लाईलाज बिमारी है

जब भी मैं पढ़ने जाता
जगह जगह ठोकर खाता
बस्ता क्या अलमारी है

कान फटे सुनते सहते
मुझे देखकर सब कहते
बालक नहीं मदारी है

- अश्वघोष
१ सितंबर २०२४

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