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       मन पतंग-सा

 
मन पतंग सा-उड़ा कहीं पर
डोर तुम्हारे हाथों में
खुला आसमां दूर पुकारे
पंख लगे
जज्बातों में

लाल गुलाबी नीले पीले
रंगों का मौसम आया
मदमाते फूलों का यौवन
रक्तिम गालों पर छाया
हरी चूड़ियों की छन छन में
प्यार तुम्हारी
बातों में,

मैं पतंग सा उड़ूँ गगन में
मुक्त हवाएँ साथ लिये
सपनों की चिलमन में जैसे
मस्त बहारें बाँध लिये
तुम मेरी परछाई बनना
इन प्यारी
मुलाकातों में

- पद्मा मिश्रा
१ जनवरी २०२३

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