नव वर्ष में-
हुशयारियों से बचना
ऐयारियों से बचना
ऊपर से दिखावे के
आभारियों से बचना
अच्छे हैं बेर जूठे
जो प्रेम से खिलाये
स्वारथ की दावतों के
व्यापारियों से बचना
जो शोर तो मचाते
पर ज़ोर ना लगाते
सहकारिता में ऐसे
हुंकारियों से बचना
मौका सदा टटोलें,
मुँह देखी बात बोलें
गंगा में हाथ धोते
दरबारियों से बचना
संवेदना जगाने
के हैं कई बहाने
दिल की जगह गले की
सिसकारियों से बचना
वैसे तो ज़माने में
उपचार अनेकों हैं
अच्छा है उससे पहले
बीमारियों से बचना
वीरेन्द्र जैन
२८ दिसंबर २००९
|