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नव वर्ष अभिनंदन

नये साल का लक्ष्य यही है...

         

नये साल का लक्ष्य यही है, दुनिया में सब अच्छा हो
झूठ कहीं इज़्ज़त न पाए, सम्मानित हर सच्चा हो।

गलत हुआ जो उसको भूलें, अब न कभी दुहराएँगे
एक बार ठोकर खाई है, नहीं दुबारा खाएँगे।
नेक राह पर चलने वाला, दुनिया का हर बच्चा हो
नये साल का लक्ष्य यही है, दुनिया में सब अच्छा हो।
झूठ कहीं इज़्ज़त न पाए, सम्मानित हर सच्चा हो।

रहें प्रेम से सारे मानव, सब में भाई-चारा हो,
घर कोई अब रहे न भूखा, ऐसा विश्व हमारा हो।
प्यार-महब्बत पूँजी अपनी, लक्ष्य नहीं अब पैसा हो.
नये साल का लक्ष्य यही है, दुनिया में सब अच्छा हो।
झूठ कहीं इज़्ज़त न पाए, सम्मानित हर सच्चा हो।

मज़हब प्रेम हमें सिखलाए, यही धर्म समझाता है,
ईश्वर-अल्ला में कुछ अंतर, मूरख ही बतलाता है।
सभी देवता यहाँ सभी के, ये समाज इक घर-सा हो,
नये साल का लक्ष्य यही है, दुनिया में सब अच्छा हो।
झूठ कहीं इज़्ज़त न पाए, सम्मानित हर सच्चा हो।

पेड़ बचाएँ, नदी बचाएँ, गाय नहीं कट पाए अब,
पशुओं को भी जीने देंगे, मनुज सभ्य बन जाए अब।
हरियाली बढ़ती ही जाए, कहीं न खूँ का धब्बा हो,
नये साल का लक्ष्य यही है, दुनिया में सब अच्छा हो।
झूठ कहीं इज़्ज़त न पाए, सम्मानित हर सच्चा हो।

बूढ़े रहें घरों में अपने, जीने का अधिकार मिले,
जिसने हमको छाँव लुटाई, उस बरगद को प्यार मिले।
पूत कपूत न बन जाये बस, लायक अब हर लड़का हो,
नये साल का लक्ष्य यही है, दुनिया में सब अच्छा हो।
झूठ कहीं इज़्ज़त न पाए, सम्मानित हर सच्चा हो।

स्त्री-शक्ति आगे आये, लेकिन यह भी ध्यान रहे,
नैतिकता गर बची रही तो, वह सुन्दर निर्माण रहे।
साफ़ राह चलते हम जाएँ, कभी नहीं कुछ गन्दा हो,
नये साल का लक्ष्य यही है, दुनिया में सब अच्छा हो।
झूठ कहीं इज़्ज़त न पाए, सम्मानित हर सच्चा हो।

ये दुनिया तो अपना घर है, यहाँ रहें या वहाँ रहें,
सबको जीने का हक़ देंगे, जिनकी मर्ज़ी जहाँ रहें।
धरती माता सबकी माता, सोच हमारा ऐसा हो,
नये साल का लक्ष्य यही है, दुनिया में सब अच्छा हो।
झूठ कहीं इज़्ज़त न पाए, सम्मानित हर सच्चा हो।

गिरीश पंकज
२८ दिसंबर २००९

  

नये वर्ष का नयापन

नमस्कार !
मैं, नया वर्ष, अति सहर्ष,
नये वर्ष के अवसर पर,
अपने दोनों कर जोड़ कर,
पिछले वर्ष को, पिछले ही वर्ष में छोड़कर,
नये वर्ष में आपका स्वागत करता हूँ।

आप शायद सोचें-
इस नये वर्ष में नया क्या है?
यों भी,
हर वर्ष, हर वर्ष आता है।
और हर वर्ष, हर वर्ष जाता है।
वही बाराह महीने, गर्मी में पसीने,
सर्दी में झुकाम,
और बरसात में
सड़कों पर लंबे-लंबे जाम।
हम्म, बात तो सही है।
देखें, तो हर वर्ष ही वही है।
फिर, इस वर्ष, नये वर्ष में, नया क्या है?

श़क्लो-सूरत, कद और वज़न में,
मैं पिछले वर्ष जैसा ही हूँ।
पर उम्र में,
मैं उससे, पूरे एक साल बड़ा हूँ,
और इसीलिये विश्वास से, आपके समक्ष, नतमस्तक खड़ा हूँ।
मैंने दुनिया देखी है,
मुझे तजुर्बा भी ज़्यादा है,
और इस तजुर्बे के साथ,
मेरा आप सब से वादा है-
कि ज़िंदगी को एक नई शुरुआत दूँगा,
एक या दो दिन नहीं,
पूरे बरस आपका साथ दूँगा।
और जब वापस जाऊँगा,
तो अपने से भी ज़्यादा तजुर्बेकार,
अपने बड़े भाई से आपको मिलाऊँगा।
और, भाई बताना मेरा फर्ज़ है,
आप सब से मेरी छोटी-सी अर्ज है-
कि इस वर्ष,
गर मेरे तजुर्बे का इस्तेमाल करेंगे,
तो देखिये २०१० में
आप कैसे-कैसे कमाल करेंगे।
और, जब आप मेरे तजुर्बे का पूरा इस्तेमाल जान जायेंगे,
तब आप हर वर्ष आने वाले, नये वर्ष का नयापन मान जायेंगे।

इसी आशा के साथ,
मैं, इस वर्ष, अति सहर्ष,
नये वर्ष के अवसर पर,
अपने दोनों कर जोड़ कर,
पिछले वर्ष को,
पिछले ही वर्ष में छोड़कर,
नये वर्ष में आपका स्वागत करता हूँ।

विनीत गर्ग
 

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