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नव वर्ष अभिनंदन

नूतन वर्ष आया है!

          सुरक्षा का सुदृढ़ आधार लाया है!
नूतन वर्ष आया है!

मधुर बंधुत्व का विस्तार लाया है!
आतंक के माहौल से अब मुक्त होंगे हम,
ऐसा घना अब और छाएगा नहीं भ्रम-तम,
नूतन वर्ष आया है!

अमन का, चैन का उपहार लाया है!
सौगन्ध है, जन-जन सदा जाग्रत रहेगा अब,
संकल्प है - रक्षित सदा भारत रहेगा अब,
नूतन वर्ष आया है!

महेन्द्र भटनागर
२९ दिसंबर २००८

  

नया वर्ष अभिनंदन

सहमी सी चिड़िया कुछ बोली
चिपकी आँख कली ने खोली
उखड़ी साँस हवा का आँचल
ओस भरा आँसू का काजलि
ठगी आरती किरन सुबह की
क्या पूजा क्या अर्चन

नदिया पटके पाँव गटर में
प्यास मछरिया तरसे
हरियाली उलझी काँटों में
गाल धुएँ में झुलसे
पूछ रहे हैं आगत का हल
कटे शीश धड़ उपवन

कौड़ी मोल आदमी कुर्सी
धर्म अर्थ विज्ञान
बेशर्मी की हदें तोड़कर
है नंगा इनसान
आज़ादी का अर्थ कटे है
न्याय नीति के बंधन

नया वर्ष अभिनंदन!

-- यतींद्र राही
२९ दिसंबर २००८

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