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नव वर्ष अभिनंदन

बस कलैंडर बदला बदला है

         

शाम वही थी सुबह वही है नया नया क्या है
दीवारों पर बस कलैंडर बदला बदला है

उजड़ी गली, उबलती नाली, कच्चे कच्चे घर
कितना हुआ विकास लिखा है सिर्फ पोस्टर पर
पोखर नायक के चरित्र सा गंदला गंदला है
दीवारों पर बस कलैंडर बदला बदला है

दुनिया वही, वही दुनिया की है दुनियादारी
सुखदुख वही, वही जीवन की, है मारामारी
लूटपाट, चोरी मक्कारी धोखा घपला है
दीवारों पर बस कलैंडर बदला बदला है

शाम खुशी लाया खरीदकर ओढ ओढ कर जी
किंतु सुबह ने शबनम सी चादर समेट रख दी
सजा प्लास्टिक के फूलों से हर इक गमला है
दीवारों पर बस कलैंडर बदला बदला है

वीरेंद्र जैन
२९ दिसंबर २००८

  

नए साल की नई किरन

भोर की
पहली किरन
आ तुझे सादर नमन।

यह संदेशा है कि,
मैं, अपने हिये की खोल दूँ
है चिरंतन और शाश्‍वत
जय उसी की बोल दूँ।

झर चले अरविंद,
अपनों से बिछुड़ने की प्रथा है।
दरस को
तरसे नयन
आ तुझे सादर नमन।

तितलियाँ हैं संचरित,
बह रहा सुरभित पवन
फिर भला आतंक क्‍यों
हो मेरा दीपित गगन

मंगला, तेरे ही संबल से बनी
जीवन-कथा है
परस मैं
तुझ को सुमन
आ तुझे सादर नमन।

- क्षेत्रपाल शर्मा
 

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