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नव वर्ष अभिनंदन

उपहार

         

गहरे भूरे बादलों का
नर्म फाहेदार चोंगा पहने
आसमान का टुकड़ा
छत के गमलों में
बैंगनी गुलदाउदी के फूलों पर
सेंटाक्लाज की तरह
चुपके से
टाँग गया है बारिश की कुछ बूँदे

चीड़वन में
सर्द हवाओं ने
गाना शुरू कर दिया है
जिंगलबेल

ठंड से ठिठुरती
अपने घुटनों के बीच ठुड्डी टिकाए
सिकुड़कर बैठी घाटी के ऊपर
अभी-अभी गर्म मुलायम धूप का गुमदा
डाल गया है सूरज

एक पेड़ के नीचे
बहुत देर से खड़े एक नन्हें बच्चे ने
घाटी की तरसे आई
बस से उतरी
लाल स्वेटर वाली अपनी दोस्त के
माथे को अभी-अभी चूमा है
और पीठ पर बस्ते लटकाए
एक-दूसरे का हाथ पकड़
दोनों ऊपर पहाड़ी वाले स्कूल की तरफ़ बढ़ गए हैं

मैं प्रार्थना में हूँ

लो इस ऋतु का यह एक दिन
मैं तुम्हें उपहार देता हूँ।

सूर्यनाथ सिंह

  

नूतन वर्ष मंगलमय हो

वर्ष नवल स्वप्न नवल
जीवन में लाए सुख-समृद्धि हर्ष
नेह रस से पगी सुधियों संग
सौहार्द सद्भावना का हो उत्कर्ष।

स्वर्णिम हो दिवस सबके
रजतमयी प्रति रातें
मंगलमय नूतन वर्ष में
आनंदघन की हो बरसातें।

कल्पना के उच्च शिखरों पर
पल प्रति पल चढ़ते रहें
स्नेह दीप प्रज्वलित कर
कदम दर कदम आगे बढ़ते रहें।

जीवन सफ़र है अनजाना
हर मोड़ पर कुछ खोना-पाना
बुलंद रहे आपके इरादे
गूँजे मंज़िल का तराना।

स्पंदित हो उद्घाटित हो
जीवन के नव आयाम
शांतिदूत बन प्रेषित करें
विश्व बंधुत्व का पैगाम।

आनंद की उर्मियाँ आपके
जीवन को तरंगित कर दे
आने वाला नया क्षण आपको
नई उपलब्धियों से भर दे।

रोहिनी कुमार भादानी

1 जनवरी 2006


 

 

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