अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

नव वर्ष अभिनंदन

साल मुबारक

         

यारों मुझे साल मुबारक कर लेने दो
पल दो पल खुशी में जी लेने दो
तुम सच कहते हो
कल किसी आतंकवादी बम से
आसमान फट पड़ेगा
तो मेरी फटी कमीज़ के तार-तार से
आसमाँ को भी सी दूँगा
पर आज मेरे दिल की नसें मत चिरने दो
यारों मुझे साल मुबारक कर लेने दो

माना कल सार्स के कीटाणु
मेरे जिस्म को बनाएँगे छलनी
राजा न बच पाएगा
भिखारी की दाल क्या गलनी
कैंसर का क्यों डर दिखाते

नन्हीं-सी जान के लिए
किसी सरकारी अस्पताल में
हैजे से उबर कर मलेरिया से मरने दो
यारों मुझे साल मुबारक कर लेने दो

शनि राहू के अंधे डर
तुमने मिटाए तो मिट गए
जोशी के पंचांग पर
तुम ग्रह बने वे पिट गए
अब डराते हो कि ज़मीन पर गिरेगें
घूमते कृत्रिम उपग्रह के कबाड़
तो कहर ही ढ़ा देगें
बहस मे फेंकी हुई तश्तरियों के कचरे

नए वर्ष की
शुभकामनाओं की झड़ी
एटमी ब्रह्मास्त्र को क्या भाएगी
रंगीन आतिश का माहौल देख कर
उल्टी गिरती उल्का सँभल जाएगी
तो दुर्देव की भेजी हुई
बिजली की दमक का हिसाब
आँखों की चमक से कर लेने दो
यारों मुझे साल मुबारक कर लेने दो
पल दो पल खुशी मे जी लेने दो।

हरिहर झा

  

नव वर्ष मुबारक

नव वर्ष, हथेलियाँ
ज़मीन पर टिकाए
सिर्फ़ सीटी बजने
की इंतज़ार में
पलों, दिनों, सप्ताहों,
महीनों के साथ
बाधा दौड़ में
कुलांचे भरने को
तैयार,
भूल गए, धूमिल
हो गए वो पल,
रेल हादसे, तूफ़ान
भूकंप के झटके
व अनेकों विपदाएँ
इक सैलाब भींचे

मुट्ठियाँ, आँखें मूँद कर
इसमें डूबने को आतुर
कहते हुए 'नव वर्ष
मुबारक हो।'
काश कि सबकी दुआ
कबूल हो, जी भर के
खुशियाँ आएँ, तरक्की हो,
मानवता की हर राह पर,
खुशहाल हो संपूर्ण विश्व
व इक पक्की-सी सरहद की
दीवार बन जाए विश्व व
विपदाओं के बीच, कि इक दूसरे
को ये कभी छू न सकें।

शबनम शर्मा
1 जनवरी 2008

नव वर्ष

नव वर्ष की नई अभिलाषा,
पूरी हो हर जन की आशा।
घृणा द्वेष ना पनपे मन में,
हँसी खुशी छा जाए मन में।
भूखा नंगा रहे ना कोई,
द्वेष राग से मरे ना कोई।
सहनशीलता को अपनाएँ,
निरक्षरता हम दूर भगाएँ।
ऋषियों वेदों का देश हमारा,
सत्य अहिंसा अपना नारा।
खाए और खाने दे सबको,
जीये और जीने दे सबको।
दुनिया को हम स्वर्ग बनाएँ,
ज्ञान से हम विकास कर पाए।
शांति फैले इस धरती पर,
युद्ध ना हो अब इस धरती पर।
यही कामना नए वर्ष में,
शुभ शुभ हो सब नए वर्ष में।।

प्रतिमा पांडेय
1 जनवरी 2008

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter