१७
खुशियाँ लाये
बिछड़ों के मध्यस्त
ये नववर्ष।
१८
ओस के कण
चुगती हुई आई
ये जनवरी।
१९
सहमे पंछी
अब फिर झूमेंगे
नये साल में।
२०
कलियाँ खिली
डालियां गाएँ गान
नववर्ष का।
२१
छटेंगे अब
दुःखों के बादल
विश्वास यही।
२२
आंतकियों ने
फैलाई दहशत
ना टूटे हम।
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११
पंछी समूह
गाये मधुर गीत
नये साल में।
१२
करें स्वागत
खुशियाँ ले के हम
नव-वर्ष का।
१३
खड़ा द्वार पे
प्रेम संदेश लिए
ये नव-वर्ष।
१४
ना बरसाये
पलकों की झालर
दुःख के मोती।
१५
प्रथम गान
नव-वर्ष बेला में
गाती कोयल।
१६
इस साल में
ना उजड़े चमन
कोशिश यही।
डॉ. भावना कुंअर
२९ दिसंबर २००८ |