नया साल सूरज नया ले के आए।
न हो जंग दुनिया में कायम अमन हो
कि लौटे बहारें हरा फिर चमन हो
जहाँ में हो खुशियाँ कहीं पर न ग़म हो
ये सारी ही धरती हमारा वतन हो
कि भूलें हम आपस की अनबन ये झगड़े
नया साल हमको सबक ये सिखाए।
न हों इस जहाँ में सितमगर जफाएँ
न हों गर्म आँसूँ न हों सर्द आहें
न मजबूर दिल हो न बेबस निगाहें
नई मंज़िलें हों नई अब हो राहें
नई हो ये धरती नया आसमाँ हो
नया साल दुनिया नई ले के आए।
न बिकता हो इंसान पैसे के बदले
न बिकता हो ईमान पैसे के बदले
न बिकती हो इज़्ज़त न बिकती हो अस्मत
न बिकता हो भगवान पैसे के बदले
न फिरता हो इंसां मुखौटे लगाए
नया साल इंसां को इंसां बनाए।
चंपालाल चौरडिया 'अश्क'
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