हर तरफ़ किलकारियाँ हों कहकहे अबके बरस
प्यार की ऐसी हवा हर दिन बहे अबके बरससारी
दुनिया में मुहब्बत की रहे दीवानगी
हम रहें सुख-चैन से दुनिया रहे अबके बरस
आदमी हर आदमी के काम आए इस तरह
जो पराया हो उसे अपना कहे अबके बरस
पेड़ से लिपटी लताएँ चैन से लिपटी रहे
गुल रहे गुलशन रहे खुशबू रहे अबके बरस
चाँदनी जैसा मज़ा आए अमा की रात में
इस तरह आँगन गली रोशन रहे अबके बरस
नफ़रतों की आग में 'घायल' कोई झुलसे नहीं
प्यार की पुरवाई सालों भर बहे अबके बरस
राजेंद्र पासवान 'घायल'
1 जनवरी 2008 |