शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।
हो उल्लसित यामिनी हो न दिवस दु:खदायी।।क्षण-क्षण नव निर्माण प्रेरणा भरे प्राण में
अभिनव
दिशा प्रदान करे नित नव प्रयाण में
पग-पग पर हो प्राप्त प्रगति पावन मनभाई।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
जीवन में जंगमता के समस्त लक्षण हों
स्वत: शीघ्र ही
पूरित विगत वर्ष के व्रण हों
मिलें नए आयाम दिशाएँ हों वरदायी।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
वसुधा का वर्चस्व बढ़े हो गगन सुरक्षित
रहे न जगती
तल में कोई जीव अरक्षित
विश्व शांति प्रति हर मनुष्य हो उत्तरदायी।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
मानव उर पर हो
सर्वदा प्रीति का शासन
भंग करे कोई न नीति न्याय अनुशासन
हो कोई न कदापि विकृतियों का अनुयायी।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
सत्ता का उन्माद न पंथ भ्रष्ट कर पाए
कैसा भी व्यामोह न मन निकृष्ट
बनाए
किसी दशा में कोई कभी न हो अन्यायी।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
आहत हों किंचित न व्यक्तिगत अपेक्षाएँ
पूरी हों सब जन हितकारी व्यपेक्षाएँ
हर योजना सार्थक हो इच्छित फलदायी।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
छटें युद्ध की विभीषिका के विषमय बादल
शस्य
श्यामला धरणी का हो दग्ध न आँचल
शिक्षा का हो राज्य व्यक्ति हो अध्यवसाई।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
"जीवन ज्योति" प्रज्वलित हो ले नई 'चेतना''
जन
मन से हो दूर सदा के लिए वेदना
हो "अनुभूति" और "अभिव्यक्ति" नहीं विषपायी।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
निर्धनता निर्बलताओं का निराकरण हो
हर उपभोग्य
वस्तु का समुचित समीकरण हो
विश्व कुटुंब बने हर स्थिति हो मंगलदायी।।
शुभ हो नूतन वर्ष निमिष हर हो सुखदायी।।
प्रो. हरि शंकर आदेश
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