अभिनंदन नव वर्ष
2007
बीत गए दिन ताप त्रास के
अब हो चहुँ दिश हर्ष
नई-नई खुशियों को लेकर
आए यह नव वर्ष
धान्यपूर्ण हो बसुंधरा
अक्षय धन भंडार भरा
अलग बने पहचान विश्व में
कृषि से भारतवर्ष
दूर विषमता हो समाज की
दीर्घायु जनतंत्र राज की
मानव मानव को सम समझें
कोई न हो अस्पर्श्य
झगड़े दंगे ना दुर्घटनाएँ
काल के गाल ना मानव जाएँ
कवच बने मानव समाज का
तकनीकी उत्कर्ष
सतीश चंद्र उपाध्याय
नया वर्ष
नया वर्ष मंगलमय सबको
नई किरण-सा हो यह वर्ष
ऋद्धि-सिद्धि दे हमें गणपति
भैरवी दे नूतन उत्कर्ष
नए वर्ष का नया सुमन
मुसकाए सबके जीवन में
भरी रहे माता की गोदी
खिले सभी का भाग्य सुमन
वनिता का सिंदूर अमर हो
पुलकित हो जन-जन का मन
जुड़ा रहे भाई भाई से
नहीं किसी में हो अनबन
डॉ. यशोधरा राठौर
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