नववर्ष की शुभकामना
है लालिमा सारे भुवन में मोहनी
लो सूर्य नूतन वर्ष का उगने को है
मन कोक कोमल नीड़ को अब त्यागकर
हो मुक्त अंबर में खड़ा उड़ने को है
अब छोड़ बीते साल की वो वेदना
तू छूट दुविधाओं के इस भुजपाश से
कर आचमन तू आज अपने तेज का
सौभाग्य बन जो आ रहा आकाश से
अब दीप आशा के सदा जलने को हैं
जल कुमुद खुशियों के भी खिलने को हैं
जो कामनाएँ की थीं जीवन में कभी
वे सत्य में साकार सब ढलने को हैं
दिन सदा होली के रंग भरते रहें
हर दिवाली के दिये जलते रहे
और मेरी कामना के फल सदा
हर वर्ष मंगलमय सुखद करते रहें
रिपुदमन पचौरी
नए साल के साथ
टूटी झोपड़ी के झरोखे से
नए घर के आसार देखता हूँ
नए साल के साथ आए उमंगें
उत्साह और प्यार देखता हूँ
इस वर्ष जो बीत गया
वो अब बात पुरानी है
कामयाबी हो या नाकामी
वो अब महज़ कहानी है।
सुखद भूमि में बीज रोप कर
कोपलों के आसार देखता हूँ।
नए साल के साथ आए उमंगें
उत्साह और प्यार देखता हूँ।
रवीश रंजन
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