सदाचार युक्त हों नर-नारी
जनसेवक हों जन-हितकारी
क्लेशमुक्त हों अपढ़-अभागे
ज्ञानपिपासा जन में जागे
ऐसे दीपक जले चतुर्दिक
मानव मन का संशय क्षय हो
नया वर्ष शुचि मंगलमय हो।
वसन किसी का जीर्ण न होवे
बदन भूख से शीर्ण न होवे
जग में भ्रष्टाचार न होवे
छल मिश्रित व्यापार न होवे
शीलवान हों सभी नागरिक
सदा सत्य की पूर्ण विजय हो
नया वर्ष शुचि मंगलमय हो।
बचे एक भी कंठ न प्यासा
सबकी हो अवमुक्त हताशा
कोटि कल्पद्रुम हैं जनबल में
कल-कल से फूटे नव कल में
कर्मठता की जगे भावना
नहीं कहीं पर घटित अनय हो
नया वर्ष शुचि मंगलमय हो।
डॉ. गिरीश कुमार वर्मा
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