अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

नव वर्ष अभिनंदन
2007

आओ भाई 2007

         

मेरा कैलेंडर बता रहा है,
नया साल आने वाला है,
साथ जो अब तक निभा रहा था,
वह पीछे जाने वाला है,

चलो उठें हम, पुनः अंगड़ाई लेकर कुछ संकल्प करें,
ये करना है, वो करना है, कहें अधिक पर अल्प करें,
हँस कर संकल्पों को तोडें, काम अधूरे बीच में छोड़ें,
अगड़म-बगड़म धागे जोड़ें, कोई ना समझाने वाला है,
मेरा कैलेंडर बता रहा है,
नया साल आने वाला है,

पिछले वर्ष भी सूरज कितने अंधकार से छले गए,
बिस्मिल्लाह शहनाई मधुर-सी संग में लेकर चले गए,
श्याम श्याम में मिले रेल में, गौतम भी कैलाश मेल में,
रहे फँसे हम किंतु जेल में, दुनिया इक गड़बड़झाला है,
मेरा कैलेंडर बता रहा है,
नया साल आने वाला है,

मेरी विनति है ईश्वर से शुद्ध प्रेम की धारा हो,
मिले प्रमोशन सबको जग में सबके घर उजियारा हो,
पत्नी का बेलन ना चमके, शांति पताका जग में दमके,
सैवन करे भलाई जम के, नफ़रत के घर पर ताला है,
मेरा कैलेंडर बता रहा है,
नया साल आने वाला है,

अभिनव शुक्ला

1 जनवरी 2007

विदाई

लो विदा अब वर्ष तुम भी
थक गए हो बहुत चलकर
अब तुम्हारे भार को
नए वर्ष के कंधे मिलेंगे

कौन जाने दर्द कितना
बाँध कर ले जा रहे हो
नए सूरज को नयन की
रोशनी दे जा रहे हो
अब तुम्हारे साथ के पल
आँख में बन गए काजल
अनुभवी होकर दिवस भी

स्वयं उजियाले खिलेंगे

उगते सूरज की पूजा
कर रहा अबतक ज़माना
डूबते को देखकर
आता सभी को मुँह चिढ़ाना
इसलिए है बहुत संभव
हम तुम्हें भी भूल जाएँ
पर अगर ऐसा हुआ तो
नीव के पत्थर हिलेंगे

वक्त छल करता रहा है
हमें देकर आस कल की
उम्र साँसों की गगरिया
धड़कनों के साथ छलकी
तुम चलो हम भी तुम्हारे

साथ पीछे आ रहे हैं
क्या पता कितने जनम तक
घूमते मेले चलेंगे

सजीवन मयंक

 

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter